पटुआ है पोषक तत्वों की खान
कोलेस्टेरॉल के स्तर को सामान्य रखने में सहायक
कुछ क्षेत्र विशेष में पटुआ नाम से पुकारा जाने वाला ये पेड़ मेस्टा (Mesta) की एक प्रजाति है। इसका हिन्दी नाम पिटवा (Pitwa) भी बताया गया है। इसे अँग्रेजी में केनफ़ (Kenaf) कहते है। पटुआ का पेड़ विशेष तौर पर जूट के विकल्प के तौर पर जाना जाता है। इसका भोजन के रूप में भी उपयोग होता है। इसकी पत्तियों और बीज से व्यंजन बनाए जाते हैं। पत्तियों का साग-सब्जी के रूप में उपयोग होता है। इसका अचार, सांभर, सग्पइता बनता है। इसे अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर भी बनाया जाता है।
बीज को लोग भूनकर एसे ही खाते है और इसके लड्डू भी बनाते हैं। बीज से तेल निकाला जाता है जो खाने योग्य होता है। कुछ समुदायों में इसके फल जो कि वास्तव में बीज कैप्सूल होता है की सब्जी बनाई जाती है। सब्जी के लिए अपरिपक्व फल उपयोग होता है। इसका फल आवरण (वाह्य दल पुंज) से ढका होता है। इस पर रोएँनुमा कांटे भी होते हैं। इस आवरण को विशेष विधि से हटाकर फल की सब्जी बनाई जाती है।
मेस्टा की इस प्रजाति को विभिन्न क्षेत्रों में अलग नाम से जाना जाता है। इसे बंगाली में मेस्टपट (Mestpat), गुजराती और मराठी– अंबड़ी (Ambadi), कन्नड़– पुंडी (Pundi), तमिल– पुलिचई (Pulichai), तेलगु– गोंगूरा (Gongura), उड़िया– नलिता (Nalita) कहते हैं।
इस पर हुए कई शोध, पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के विश्लेषण से उपलब्ध जानकारियों के आधार पर-
पटुआ पोषक तत्वों की उपस्थिति की दृष्टि से-
विटामिन और मिनेरल्स से युक्त पत्तियाँ विटामिन ए, सी, कैल्शियम और फाइबर का अच्छा स्रोत हैं। इसमें विटामिन बी समूह के थाइमीन, राइबोफ्लेविन, और नियसिन उपस्थित होते हैं। लवण में इसमें आयरन, ज़िंक, मेग्नीशियम, क्रोमियम, सिलेनियम, कॉपर की उपस्थिति प्रमुख है। इसमें प्रोटीन का भी अंश होता है।
यह भी पढ़ें : नीम – लाख दुःखों की एक दवा
इसके बीज से निकले तेल में प्यूफा (PUFA) की उच्च मात्र होती है। इसमें लिनोलेइक एसिड (ओमेगा 6) के उच्च प्रतिशत के साथ ओलेइक एसिड (ओमेगा 9), पामिटिक एसिड, स्टियरिक एसिड और अल्फा लिनोलेइक एसिड (ओमेगा 3) होता है।
पतियों और बीज में स्वास्थ्य के लिए लाभकारी पॉलीफेनोल्स वर्ग के कई तत्वों भी पाये जाते हैं।
इन सभी तत्वों की उपस्थिति इन्हें चिकित्सीय, औषधीय एवं स्वास्थ्यवर्धक गुण प्रदान करते है।
पटुआ स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से-
गुर्दे की पथरी, मूत्राशय में पथरी की औषधि के रूप में पटुआ को देखा जाता है। इसे उच्च रक्तचाप को कम करने वाला, शोथ रोधी, हाईपरटेंशन की आशंकाओं को कम करने वाला, जीवाणु रोधी, रोग प्रतोरोधकता में सुधार करने वाला, ट्यूमररोधी, कब्ज से बचाव करने वाला, ल्यूकीमियारोधी, भूख बढ़ाने वाला माना गया है। इसे शोथ, रक्त, पेट और गले संबंधी बीमारियों, कैंसर, पित्त-दोष, यकृत का बढ़ना, पेचिश के इलाज़ में भी लाभकारी माना गया है।
पत्तियाँ पेशाब को बढ़ाने वाली और पेशाब के द्वारा यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निकलने में भी सहायक हैं। इसे हीमोलाइटिक एनीमिया के इलाज में उपयोगी माना गया है। ये टॉनिक हैं और कोलेस्टेरॉल के स्तर को सामान्य रखने में भी सहायक है। ये मधुमेहरोधी और यकृत को सुरक्षा प्रदान कने वाली मानी गईं हैं।
बीज के तेल में उपस्थित प्यूफा (PUFA) सामान्य वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है। यह कोलेस्टेरोल के बढ़े हुए स्तर को कम करने और हृदय रोगों की संभावनाओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बीज ऑक्सीडेंट और कैंसररोधी गुण लिए भी है।