बारिश का मौसम और जामुन का साथ के क्या कहने। इस मौसम में हर उम्र के लोगों के लिए मुफीद है जामुन। बच्चों के लिए तो बारिश में खेल-कूद में जगह बना लेते हैं जामुन। जामुन खाकर जीभ का रंग देखना एक शौक हो जाता है। किसकी जीभ का रंग ज्यादा चढ़ा है ये… Read More...
सहजन जिसे अँग्रेजी में ड्रमस्टिक (Drumstick) कहते हैं किसी परिचय का मोहताज नहीं है। दुनिया में व्यापक स्तर पर इसकी मौजूदगी है। काफी लम्बे समय से इसके प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दिया जा रहा है। सहजन की खूबियाँ जन-जन तक पहुँचाने के प्रयास हो रहे… Read More...
कुपोषण शरीर में बहुत सी समस्याओं और बीमारियों का कारण होता है। एनीमिया, मोटापा, रतौंधी, कैल्शियम की कमी, हृदय रोग, कई तरह के कैंसर, मधुमेह का एक मुख्य कारण कुपोषण है। बथुआ पत्तेदार सब्जी (शाक या साग) में एक जाना पहचाना नाम है। पोषक तत्वों… Read More...
गूलर का नाम तो आप सभी लोग जानते होंगे। मैं नहीं जानता कि आप में से कितने लोगों को मालूम है, कि गूलर की बेहद स्वादिस्ट सब्जी भी बनती है। हमारी बेहद अपनी देसी कहावतों और किस्से-कहानियों में भी गूलर निहायत ही आत्मीयता के साथ मौजूद है। लम्बे… Read More...
बदलता मौसम हो या शाम की चाय का समय चना-चबैना-भूजा का दौर हमारी आहार परम्परा का हिस्सा रहा है और आज भी है। अगर सेहत के लिहाज से देखा जाय तो ये पोषण और सेहत के लिए हर मौसम में बहुत ही मुफीद है। हाँ, ये जरूर है कि अलग आयु वर्ग में इसकी पसंद… Read More...
कृषि, सहयोग एवं किसान कल्याण विभाग ने गत 23 सितम्बर को वर्ष 2019-20 के लिए प्रमुख खरीफ फसलों की पैदावार के प्रथम अग्रिम अनुमान जारी किए। विभिन्न फसलों की पैदावार का आकलन राज्यों से प्राप्त जानकारियों (फीडबैक) पर आधारित है और अन्य… Read More...
बचपन की यादें! बहुत अनमोल, बहुत मीठी… शेयरिंग इज़ केयरिंग का फलसफा हम भाई बहनों के बीच शायद अपने आप से ही था। शरारतें तो बहुत होती थीं पर एक दूसरे की परवाह भी उतनी ही थी। हर काम को मिल-बांटकर कर लेना और एक दूसरे की ज़रूरत का ध्यान रखना, कभी… Read More...
वो चुलबुली गुदगुदा देने वाली बचपन की यादें। माँ का आँचल और पापा की गोद की गर्माहट जब भी याद करती हूँ तो मन खुशियों से भर जाता है। छोटे भाई बहनों के साथ वो कोमल नटखट शरारतें भी याद आ जाती हैं। यूँ तो हम लोग दो बहनें और एक भाई हैं पर मेरे बड़े… Read More...
बचपन... याद आते ही जीवन के सबसे खुशनुमा दौर की यादें आँखों के सामने तैरने लगती हैं। निश्चित ही ये जीवन का सबसे बेफ़िक्री वाला समय होता है। बावजूद इसके, बचपन की तमाम अच्छी-बुरी, खट्टी-मीठी घटनाएँ हमारे दिल-ओ-दिमाग में सदा-सदा के लिए बस जाती… Read More...
यह वाक्या लगभग सन् 2000 के आसपास का है। उस समय हमको रोटी से ज्यादा चावल खाना पसंद था। खासकर तहरी (मसालेदार खिचड़ी) बहुत पसंद थी। परंतु रोज-रोज घर पर माताजी से तहरी के लिए कहना खतरे से खाली नहीं था क्योंकि घर पर हमको छोड़कर बाकी सभी लोगों… Read More...