हमारे देश में स्वास्थ्य विज्ञान के प्राचीन स्वरूप के संदर्भ में उपयोगी लाभों का प्रदर्शन करने के लिए, पर्यटन मंत्रालय ने देखो अपना देश वेबिनार शृंखला के अंतर्गत 'वैदिक फूड एंड स्पाइसेस ऑफ इंडिया' पर एक वेबिनार प्रस्तुत किया। इस वेबिनार में… Read More...
कोरोना वायरस के संक्रमण काल का ये कठिन दौर बहुत से परिवर्तन का समय है। लोग चाहे अनचाहे बदलावों से गुजर रहे हैं। इस संकट से बचाव के लिए लॉकडाउन में रह रहे हैं। सभी के लिए यह बहुत अनचाहा है पर हमारी सुरक्षा के लिए जरूरी भी है। इस परिस्थिति ने… Read More...
चने का साग, हरे चने, होला (आग में भुने बूट - हरे चने की फली); और फिर चने – सूखे परिपक्व चने। साग से शुरू यह सफर चने के साथ पूरे साल जारी रहता है। यह समय चने की फसल कटकर आने का होता है। इसलिए चने का साग और हरे चने के विविध व्यंजन के लिए साल… Read More...
बचपन की यादें! बहुत अनमोल, बहुत मीठी… शेयरिंग इज़ केयरिंग का फलसफा हम भाई बहनों के बीच शायद अपने आप से ही था। शरारतें तो बहुत होती थीं पर एक दूसरे की परवाह भी उतनी ही थी। हर काम को मिल-बांटकर कर लेना और एक दूसरे की ज़रूरत का ध्यान रखना, कभी… Read More...
बात चले गेहूँ की तो दलिया, घुघरी, गुड़ धनिया, प्रचलित हैं या फिर चलन है गेहूँ के आटे से बने विविध व्यंजन जैसे रोटी, पूड़ी, पराठा, हलवा और इस तरह के कई और। पर जब बात हो गेहूँ की हरी बालियों की तो एक और चीज़ जो बहुत पुराने समय से प्रचलन में रही… Read More...
वो चुलबुली गुदगुदा देने वाली बचपन की यादें। माँ का आँचल और पापा की गोद की गर्माहट जब भी याद करती हूँ तो मन खुशियों से भर जाता है। छोटे भाई बहनों के साथ वो कोमल नटखट शरारतें भी याद आ जाती हैं। यूँ तो हम लोग दो बहनें और एक भाई हैं पर मेरे बड़े… Read More...
बचपन... याद आते ही जीवन के सबसे खुशनुमा दौर की यादें आँखों के सामने तैरने लगती हैं। निश्चित ही ये जीवन का सबसे बेफ़िक्री वाला समय होता है। बावजूद इसके, बचपन की तमाम अच्छी-बुरी, खट्टी-मीठी घटनाएँ हमारे दिल-ओ-दिमाग में सदा-सदा के लिए बस जाती… Read More...
यह वाक्या लगभग सन् 2000 के आसपास का है। उस समय हमको रोटी से ज्यादा चावल खाना पसंद था। खासकर तहरी (मसालेदार खिचड़ी) बहुत पसंद थी। परंतु रोज-रोज घर पर माताजी से तहरी के लिए कहना खतरे से खाली नहीं था क्योंकि घर पर हमको छोड़कर बाकी सभी लोगों… Read More...
बचपन की यादें हम-आप सभी के दिल-ओ-दिमाग के किसी कोने में ताउम्र महफूज़ रहती हैं। ज़रूरत होती है बस यादों की इन परतों को खोलने की। आज की भागमभाग भरी ज़िंदगी में समय की कमी के कारण हम-आप को बचपन की यादों के समंदर में गोता लगाने का मौका ही नहीं… Read More...
हर व्यक्ति के जीवन में उसके बचपन की यादों का एक पिटारा होता है। जिसे खोलते ही दुःखी से दुःखी व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती है। बचपन ही तो ऐसा समय होता है हमारे जीवन में जो आज के समय में हर व्यक्ति फिर से जीना चाहता है। बचपन की यादें… Read More...