बचपन की यादें हम-आप सभी के दिल-ओ-दिमाग के किसी कोने में ताउम्र महफूज़ रहती हैं। ज़रूरत होती है बस यादों की इन परतों को खोलने की। आज की भागमभाग भरी ज़िंदगी में समय की कमी के कारण हम-आप को बचपन की यादों के समंदर में गोता लगाने का मौका ही नहीं… Read More...
हर व्यक्ति के जीवन में उसके बचपन की यादों का एक पिटारा होता है। जिसे खोलते ही दुःखी से दुःखी व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती है। बचपन ही तो ऐसा समय होता है हमारे जीवन में जो आज के समय में हर व्यक्ति फिर से जीना चाहता है। बचपन की यादें… Read More...
Born and brought up in an orthodox Brahmin family, certain things got into our behavior just like that. We never questioned the practice, picked it up because everyone else in the family did it. One such thing was fasting during Navratris.… Read More...
घर पर हम लोगों को पूरी आजादी हुआ करती थी खाने में नए-नए प्रयोग करने की। इसका हम सब बच्चे भरपूर फायदा उठाया करते थे। हम अपने ख़्यालों में तमाम तरह के पकवानों की 'डिज़ाइन' तैयार करते रहते थे। इसके बाद घर के बड़ों के अनुभव की सहायता से उस नयी डिश… Read More...
याद शुरू हुई बचपन की बहुत ही प्यारी डिश दूध बरिया से। दूध बरिया एक मीठा व्यंजन होता है जो खौलते दूध में गेहूँ के आटे की बरियाँ डालकर पकाकर बनाया जाता है। बरियाँ आटे के गाढ़े घोल से बनाई जाती हैं विकल्प के तौर पर बरिया न डालकर सने आटे की रोटी… Read More...
बात खान–पान की है और इलाका अवध का तो पहले एक किस्सा सुनिए। ज़माना था नवाब वाजिद अली शाह का, उन्हीं के समय में दिल्ली के बादशाह के शहजादे भी दिल्ली की झंझटों से दूर लखनऊ में शांतिपूर्वक रह रहे थे। दोनों ही दो नायाब सभ्यताओं के प्रतीक थे,… Read More...