भारत ने खाद्य सुरक्षा और किफायती खाद्यान्न सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया
भारत एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता है, पड़ोसी देशों और कमजोर देशों की जरूरतों सहित सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगा
गेहूं का स्टॉक संतुलित, निर्यात पर रोक से बाजार की अटकलों पर लगाम लगेगी...
सरकार ने कहा है कि गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित करने के निर्णय से खाद्यान्न की कीमतों पर नियंत्रण होगा, भारत और खाद्य पदार्थों की कमी वाले देशों की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी और भारत एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बना रहेगा क्योंकि यह सभी अनुबंधों का सम्मान कर रहा है।
खाद्य एवं उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव श्री सुधांशु पांडेय और कृषि सचिव श्री मनोज आहूजा के साथ एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए, वाणिज्य सचिव श्री बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि सभी निर्यात आदेश जहां ऋण पत्र जारी किया गया है, उन्हें पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी चैनलों के माध्यम से गेहूं के निर्यात को निर्देशित करने से न केवल हमारे पड़ोसी देशों और खाद्य की कमी का सामना करने वाले देशों की वास्तविक जरूरतों को पूरा करना सुनिश्चित होगा, बल्कि महंगाई की अटकलों पर भी नियंत्रण होगा।
गेहूं की उपलब्धता के बारे में बात करते हुए श्री सुब्रह्मण्यम ने कहा, “भारत की खाद्य सुरक्षा के अलावा, सरकार पड़ोसी देशों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
उन्होंने कहा कि नियंत्रण आदेश तीन मुख्य उद्देश्यों को पूरा करता है: “यह देश के लिए खाद्य सुरक्षा को बनाए रखता है, यह संकट में अन्य लोगों की मदद करता है, और एक आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की विश्वसनीयता बनाए रखता है।”
उन्होंने कहा कि निर्यात पर सरकार के आदेश में गेहूं मंडी को स्पष्ट दिशा दी जा रही है। उन्होंने कहा, “हम नहीं चाहते हैं कि गेहूं उन जगहों पर अनियंत्रित तरीके से जाए जहां इसकी जमाखोरी हो जाए या यह कमजोर देशों की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य की पूर्ति न करे। इसलिए सरकार से सरकार के बीच विंडो खुली रखी गई है।”
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव श्री सुधांशु पांडे ने कहा कि देश में खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार है।
उन्होंने कहा कि राज्यों से सलाह मशविरा करने के बाद केंद्र ने गेहूं और चावल के अनुपात में बदलाव कर कुछ मात्रा का पुन: आवंटन किया है। उदाहरण के लिए, गेहूं और चावल 60:40 के अनुपात में प्राप्त करने वाले राज्यों को यह 40:60 के अनुपात में मिलेगा। इसी तरह 75:25 के अनुपात का बदलाव 60:40 के अनुपात के रूप में किया गया है। जहां चावल का आवंटन शून्य था, उन्हें गेहूं मिलता रहेगा। सभी छोटे राज्यों-पूर्वोत्तर राज्यों और विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए आवंटन में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
पुन: आवंटन के परिणामस्वरूप, उन्होंने कहा, “इसके साथ, हमने गेहूं की उपलब्धता को लगभग 110-111 एलएमटी तक बढ़ा दिया है। इसे 185 एलएमटी में जोड़ने पर यह 296 एलएमटी हो जाता है जो लगभग पिछले साल के स्तर पर ही है।
कृषि सचिव श्री मनोज आहूजा ने कहा कि इस वर्ष विशेष रूप से उत्तर-पश्चिमी भारत में गर्मी की लहरों ने गेहूं की फसलों को प्रभावित किया है, किंतु पिछले साल की तुलना में उपलब्धता में अंतर मामूली है।
उन्होंने कहा, “पिछले साल देश के लिए गेहूं के उत्पादन के आंकड़े 109 एलएमटी थे। इस साल फरवरी में, हम इस साल के उत्पादन के लिए उन्नत अनुमान लेकर आए हैं और हमने 111 एलएमटी का अनुमान लगाया है। हमारा अनुमान इस साल 105-106 एलएमटी गेहूं की उपलब्धता दर्शाता है और हम मात्रा और उपलब्धता के मामले में पिछले साल की तरह ही हैं।”