Aahar Samhita
An Initiative of Dietitian Amika

कोरोना से जागरूकता का ‘शालिनी प्रयास’

शालिनी दुबे का लॉकडाउन कविता संग्रह

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11. दूर रहना है हमें कोरोना के कहर से,
सम्भव होगा ऐसा तब जब नहीं निकलेंगे हम घर से,
क्यूँ मज़ाक समझा है प्रकृति की इस चुनौती को,
करो दृढ़ निश्चय भगाएँगे इस आपदा को।

12. हमने मानी नहीं कभी हार सदा ज़िद सी रही,
दिल में हमारे उम्मीद की बाती जलती ही रही,
उड़ा हुआ जीवन का रंग थमा हुआ पल,
चाहे कैसी भी हो आज परिस्थिति नहीं होगा ये कल।

13. जिंदगी को हमने करीब से देखा है,
उम्मीद को हकीकत का रूप लेते देखा है,
विपदा आन पड़ी है ये कैसी भारी,
जीतेगा भारत का प्राणी, प्राणी।

14. कभी-कभी दूरियाँ भी जरूरी हो जाती हैं जिंदगी के लिए,
आशा की डोर हम थाम कर रहेंगे जीने के लिए,
मानेगें नहीं हार कल को किसी के कहने के लिए।

15. खुशियों को हिचक है अभी आने में,
पहले सीख तो जाएँ हम रहना घरों में,
न जाने कुछ लोग ये क्यूँ समझते नहीं,
देश तो सबका है किसी के अकेले का नहीं।

16. कभी साड़ी चैलेंज, कभी कपल तो कभी नो मेकअप चैलेंज,
अभी बात तो तब बनेगी जब सब लेंगे घर में रहने का चैलेंज,
कर लो निश्चय आज अपने मन से,
तभी मिल पाओगे कल तुम अपनों से।

17. प्रकृति और मानव के बीच आज जो छिड़ी हुई है जंग,
मचा ली बहुत तबाही अब और करो-ना हमें तंग,
काश पा जाएँगे हम इस पर जीत जल्दी,
पहले की तरह हो जाये हमारी ज़िंदगी रंग बिरंगी।

18. वो किलकारियाँ, चेहरे की हँसी कहीं खो सी गयी है आज,
एक छोटे से वायरस से घरों में बैठ गयी है ज़िन्दगी आज,
प्रकृति का सीधा संदेश है ये समझ लो तुम,
कब तक चुनौतियों से सीख नहीं लोगे तुम।

19. सुख छिटकेगा बन चन्द्र किरण,
धैर्य रख तू कर चित-चिंतन,
सहयोग कर तू बस एक देश हित में,
रह तू रह तू बस घर ही घर में।

20. यूं ही हौसला नहीं आ जाता किसी में,
परिस्थितियाँ जब तक पलटवार ना हो,
मजबूर हो जाएँगे जो इतनी जल्दी तो हमारी क्या हस्ती,
खोज ही लेंगे साहिलों में जो खो गयी है हमारी कश्ती।

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