उपराष्ट्रपति जल का संरक्षण करने और जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण से निपटने के लिए अभिनव समाधान के इच्छुक
राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान के रजत जयंती समारोह को संबोधित किया
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज वैज्ञानिकों से जल संसाधनों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसी समस्याओं से निपटने के लिए अभिनव समाधान प्रस्तुत करने का आग्रह किया।
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान के रजत जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों से तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा करने और समाज के लाभ के लिए समुद्र तटीय बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है।
एनआईओटी से किफायती अलवणीकरण तकनीक विकसित करने को कहा
उन्होंने समुद्र के पानी को पीने के पानी में बदलने के लिए अलवणीकरण संयंत्र जैसी प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए एनआईओटी की सराहना करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ऐसी प्रौद्योगिकियां किफायती हों।
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्र की समग्र प्रगति में समुद्री अर्थव्यवस्था के महत्व की चर्चा करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की कि एनआईओटी मत्स्य पालन और जलजीव पालन, नवीकरणीय महासागर ऊर्जा, बंदरगाह और नौवहन, अपतटीय हाइड्रोकार्बन, समुद्र की तलहटी खनिज और समुद्री जैवप्रौद्योगिकी सहित समुद्री अर्थव्यवस्था के छह प्राथमिकता वाले स्तंभों पर काम कर रहा है।
उपराष्ट्रपति ने बताया कि समुद्री अर्थव्यवस्था में कार्बन अनुक्रम, तटीय संरक्षण, सांस्कृतिक मूल्य और जैव विविधता अमूर्त जैसे आर्थिक लाभ भी शामिल हैं।
अधिक रोजगार पैदा करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए समुद्री अर्थव्यवस्था का दोहन करें: उपराष्ट्रपति
यह देखते हुए कि महासागर की पहले से ही व्यापार, वाणिज्य और अपतटीय तेल और गैस, मछली पकड़ने, समुद्री केबलों और पर्यटन में महत्वपूर्ण भूमिका है, उन्होंने कहा कि जलजीव पालन, समुद्री जैव प्रौद्योगिकी, समुद्र ऊर्जा और समुद्र की तलहटी स्थित खनन जैसे उभरते उद्योगों में रोजगार पैदा करने और दुनिया भर में आर्थिक विकास में तेजी लाने की क्षमता है।
श्री नायडू ने महासागर ऊर्जा, समुद्री जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में अग्रणी बनने के लिए भारत के लिए अनुसंधान गतिविधियों और नवाचार पर जोर देने का भी आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने अपनी आगामी परियोजना- समुद्रायायन, जो अपने मानवयुक्त पनडुब्बी के साथ समुद्र की गहराई में एक्वानट भेजने की परिकल्पना करता है, की सफलता के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और एनआईओटी को अपनी शुभकामनाएं दीं।
श्री नायडू ने घोषणा की कि भारत के उपराष्ट्रपति का पद संभालने के बाद उन्होंने उनके द्वारा किए जा रहे अनुसंधान को समझने के लिए देश भर के विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों का दौरा करने का एक मिशन बना लिया है। इस संदर्भ में, उन्होंने आईएनसीओआईएस और हैदराबाद में राष्ट्रीय सुनामी चेतावनी केंद्र की अपनी यात्रा का भी स्मरण किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह समुद्र के अवलोकन और सूचना और सलाहकार सेवाओं के क्षेत्रों में वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे कार्यों और तटीय राज्यों को सुनामी के लिए तैयार करने के काम से काफी प्रभावित थे।
उपराष्ट्रपति ने चेन्नई के लिए राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा विकसित (सीएफएलओडब्ल्यूएस- चेन्नई) तटीय बाढ़ चेतावनी प्रणाली ऐप भी लॉन्च किया। उन्होंने इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया।
इससे पहले, श्री नायडू ने एक प्रदर्शनी का अवलोकन किया, जिसमें एनआईओटी द्वारा विकसित अत्याधुनिक और सामाजिक रूप से प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया था।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में तमिलनाडु के राज्यपाल श्री बनवारीलाल पुरोहित, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री श्री ओ.पन्नीरसेल्वम, तमिलनाडु सरकार के मत्स्य और कार्मिक एवं प्रशासनिक मंत्री सुधार मंत्री डी. जयकुमार और राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डॉ. एम ए आत्मानंद भी शामिल थे।