Aahar Samhita
An Initiative of Dietitian Amika

कमरख बड़े काम का फल

विटामिन सी, सॉल्यूबल फाइबर और कॉपर का बहुत अच्छा स्रोत

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इमली के ठेलों पर एक फल और साथ में दिखाई पड़ता है। ये पाँच फलकों में बंटा हुआ हल्का पीले से गाढ़े पीले रंग का है। ये कमरख का पका फल है। कच्चा फल हरे रंग का होता है। फल को गोलाई में काटने पर ये पाँच कोन वाले सितारे की तरह लगता है। कच्चा फल स्वाद में खट्टा-कसैला और पका फल खट्टा-मीठा होता है।

कमरख के कच्चे और पके फल को लोग नमक के साथ या ऐसे ही खाते हैं। इसका आचार, चटनी, मुरब्बा, लौंजी, शर्बत बनाया जाता है। फ्रूट सलाद में भी इसका उपयोग होता है। कच्चे फल को लोग मसाले में खटाई के तौर पर ताजा या सुखाकर दोनों रूपों में इस्तेमाल करते हैं। कमरख का फल गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में मिलता है।

कमरख को अलग क्षेत्रों में भिन्न नाम से जाना जाता है। इसे गुजराती में कमरख (Kamrakha), तमिल – तमरट्टई (Tamarattai), बंगाली – कमरंगा (Kamranga), मलयालम – कटुरप्पुली (Caturappuli), असमी – करदोई (Kardoi) / रोहदोई (Rohdoi), मराठी – करम्बल (Karambal), तेलगु – अंबनमकाया (Ambanamkaya), कन्नड़ – कपरक्षी हन्नु (Kaparakshi hannu) कहते हैं।

शोध और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के विश्लेषण से उपलब्ध जानकारियों के आधार पर-

कमरख पोषक तत्वों की उपस्थिति की दृष्टि से-

कमरख विटामिन सी, सॉल्यूबल फाइबर और कॉपर का बहुत अच्छा स्रोत है। ये विटामिन बी समूह का भी स्रोत है; इसमें थायमीन, राइबोफ्लाविन, नियसिन, पेण्टोथिनिक एसिड, पाइरिडॉक्सिन, और फोलेट होता है। इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, मैगनीज़, ज़िंक लवण, विटामिन ए, ई और प्रोटीन के अंश पाये जाते हैं।

इसके अलावा इसमें फ्लेवनोइड्स, एल्केलोइड्स, टैनिन और सपोनिन वर्ग के तत्व भी अच्छी मात्रा में पाये जाते हैं।

ये सभी मिलकर इसे स्वास्थ्यवर्धक, चिकित्सीय एवं औषधीय गुण प्रदान करते हैं।

स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से-

ये एंटीऑक्सीडेंट, जीवाणुरोधी, शुगर और कोलेस्टेरॉल के बढ़े हुए स्तर को कम करने वाला है। कमरख यकृत को सुरक्षा प्रदान करने वाला, दर्दनाशक, कैंसररोधी, अल्सररोधी, शोथरोधी भी है।

इसका सेवन स्कर्वी रोग से बचाता है। ये हृदय-धमनी रोगों के खतरों को कम करता है। कमरख भूख बढ़ाने के साथ ही पाचक और शरीर को मजबूती प्रदान करने वाला है।

इसका पका फल पाइल्स के इलाज में लाभकारी माना गया है।

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बच्चे के जन्म के बाद उन माताओं जिनको दूध स्रावण संबन्धित समस्या हो इसका सेवन लाभकारी माना गया है। ये दूध स्रावण को बढ़ाने वाला है।

कमरख दस्त, उल्टी, हायपरडिप्सिया (अत्यधिक प्यास लगना), एसिडिटी, मधुमेह, गैस्ट्रिक अल्सर, खाँसी, पीलिया, मलेरिया की वजह से प्लीहा का बढ़ना, महवारी का कम या रुक-रुक कर होना, उदरशूल, मुँह में छाले, त्वचा रोगों, रक्त प्रदर, अस्थमा, हिचकी और गले के संक्रमण के इलाज में भी उपयोगी माना गया है।

ध्यान रखें- किडनी समस्याओं से ग्रसित व्यक्तियों को, और कुछ विशेष दवाओं के साथ इसका सेवन मना किया गया है।
नोट: किसी भी नए भोज्य पदार्थ को अपने भोजन में शामिल करने से पहले या भोज्य पदार्थ को नियमित भोजन (रूटीन डाइट) का हिस्सा बनाने से पहले अपने डाइटीशियन, और डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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