अगस्त खाने योग्य जंगली पादप श्रेणी का पेड़ है। यह सड़क किनारे, मैदानों/जंगलों में या लोगों के बाग-बगीचों में लगा हुआ मिल जाएगा। अगस्त के दो प्रकार के पेड़ पाये जाते हैं। एक में सफ़ेद रंग के और दूसरे में गुलाबी या लाल रंग के फूल खिलते हैं। ज्यादा प्रचलन सफ़ेद फूल वाले पेड़ का है। अगस्त के फूल के पकोड़े एक प्रचलित व्यंजन है।
कुछ क्षेत्रों में इसकी पत्तियों का साग बनता है। इसकी पत्तियों और फूल को अन्य सब्जियों के साथ भी पकाया जाता है। इसकी पत्तियों का सूप में, फूल का सलाद और स्टीम्ड वेज में भी प्रयोग होता है। स्वाद में कड़वा-कसैलापन लिए होने की वजह से पत्तियों को विशेष व्यंजन विधि से बनाया जाता है। फूल पराग नली (फूल के बीच स्थित महीन डंडी ) को हटाकर इतेमाल किया जाता है। इनका सेवन पेट दर्द जैसी समस्या पैदा कर सकता है।
अलग क्षेत्रों में अगस्त को अलग नाम से जाना जाता है। इसे बंगाली में बॅक (Bak), गुजराती – अग्थिओ (Agathio), कन्नड़ – अगसे (Agase), मलयालम – अकथे (Akathe) / अगती (Agati), उड़िया – बुको (Buko) / अगस्ति (Agasti), मराठी – आगस्ता (Aagasta) / अगस्ति (Agasti), तमिल – अगती (Agathi), तेलगु – अविसे (Avise) कहते हैं।
देश-विदेश में हुए कई शोध और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के विश्लेषण से उपलब्ध जानकारियों के आधार पर-
अगस्त पोषक तत्वों की उपस्थिती की दृष्टि से-
बीटा कैरोटिन, कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन, विटामिन सी और फाइबर से भरपूर अगस्त की पत्तियों में फोस्फोरस और विटामिन बी समूह के थायमिन, राइबोफ्लाविन और नियसिन भी पाये जाते हैं। बीटा कैरोटिन की प्रचुर मात्रा इसे विटामिन ए का बहुत अच्छा स्रोत बनाती है।
फूल में विटामिन बी समूह के थायमीन, राइबोफ्लाविन, नियसिन ,फोलेट और विटामिन सी की अच्छी मात्रा होती है । इसके अलावा इसमें सोडियम, पोटैशियम, मैग्निशियम, फोस्फोरस, आयरन और सिलेनियम की अल्प मात्रा में उपस्थिति प्रमुख है।
इन भागों में विभिन्न फाइटोकेमिकल्स भी पाये जाते हैं जो इसे चिकित्सीय और औषधीय गुण प्रदान करते है।
अगस्त स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से-
उपस्थित पोषक तत्वों के प्रभाव के आधार पर ये इम्युनिटी बढ़ाने, त्वचा को स्वस्थ रखने, एनीमिया से बचाव, एल्ज़ाइमर रोग की आशंकाओं को कम करने और माइग्रेन को रोकने के गुण लिए है। पत्तियाँ शक्ति वर्धक, हड्डियों, दाँतों और आँखों को स्वस्थ रखने एवं फूल सामान्य भ्रूण विकास में सहायक होने का भी गुण लिए है।
अगस्त के फूल और पत्तियाँ हृदय और यकृत को सुरक्षा प्रदान करने वाले, कैंसररोधी, शोथरोधी, कृमिरोधी, जीवाणुरोधी, एंटीऑक्सीडेंट, दर्दनाशक, ज्वारनाशक, रेचक भी हैं। ये रतौंधी, नजला, साइनस, पित्तदोष, गठिया, खाँसी, सिर दर्द, बुख़ार के इलाज में सहायक हैं। पत्तियाँ एंटीबायोटिक, आक्षेपरोधी (एंटीकन्वल्ज़ेंट), कफ़नाशक, ट्यूमररोधी, अल्सररोधी, मूत्र को बढ़ाने वाली होती हैं।
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इसका उपयोग शरीर के लिए टॉनिक का काम करता है। ये अतिरज (मेनरेजीअ), अल्सरेटिव कोलाइटिस, नकसीर, श्वसन संबंधी बीमारियों, मिर्गी, कुष्ठ रोग, गुर्दे की पथरी के इलाज में भी लाभकारी मानी गई हैं। फूल स्निग्धकारी, घावपूरक, भी होता है। ये पेटदर्द, राइनाइटिस (नाक के अंदर झिल्ली में सूजन) ल्यूकोरिया,और सभी प्रकार की यकृत और प्लीहा संबंधी बीमारियों के इलाज में भी लाभकारी माना गया है। यह शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालने में भी सहायक है।
कुछ विशेष परिस्थितियों में पत्तियों का सेवन नहीं करना चाहिए।
इसकी जड़, छाल और फलियाँ भी औषधीय महत्व वाली होती हैं।