बड़े काम का चिचिंडा लौकी, तरोई परिवार की सब्जी है। आकार में ये तरोई जैसे पतले पर लम्बाई में उससे कहीं ज्यादा तक होते हैं। वानस्पतिक विवरण के आधार पर लम्बाई में ये 15 से.मी. से 150 से.मी. तक होते हैं। खाने के लिए मध्यम आकार के फलों को प्राथमिकता दी जाती है। रंग में ये बहुत हल्के हरे (व्हाइटिश ग्रीन) से लेकर गाढ़े हरे रंग के होते हैं। फल के ऊपर सफ़ेद रंग की धारियाँ भी पायी जाती हैं।
चिचिंडा की विभिन्न विधियों से सब्जी बनाई जाती है। इसकी सूखी और रसेदार सब्जी के अलावा भरवां सब्जी भी बनाई जाती है। इसे दाल के साथ पकाया जाता है। इससे सांभर और सूप भी बनाया जाता है।
चिचिंडा को विभिन्न क्षेत्रों में अलग नाम से जाना जाता है। इसे बंगाली में चिचिंगा (Chichinga), गुजराती -पंडोला (Pandola), उड़िया – चचिंडा (Chachinda), कन्नड़ – पड़वल (Padavala), मलयालम – पड़वलंगा (Padavalanga), मराठी – पड़वल (Padwal), पंजाबी – गलर्तोरी (Galartori), तमिल – पोदलंगाई (Podalangai), तेलगु – पोटला काया (Potala kaya) कहते हैं।
पोषक तत्वों की उपस्थिती दृष्टि से:
चिचिंडा में पर्याप्त मात्रा में मॉईश्चर होता है। इसमें थोड़ी मात्रा में प्रोटीन, क्रूड फाइबर, वसा,और कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। मिनेरल्स में इसमें कैल्शियम, आयरन, सोडियम, पोटैशियम, फोस्फोरस, ज़िंक और मैग्नीशियम के अंश प्रमुख हैं। इसमें थोड़ी मात्रा में थायमीन, राइबोफ्लाविन, नियसिन और फॉलिक एसिड पाया जाता है।
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इस पर हुई बहुत से शोधों की विवेचना के आधार पर इसमें एल्केलोईड्स, पॉलीफेनोल वर्ग के तत्व और एंटीओक्सीडेंट के गुण पाये जाते हैं जो इसे औषधीय और चिकित्सीय गुणों से भरपूर बनाते हैं।
विभिन्न शोधों, पारंपरिक उपयोग एवं आयुर्वेद के विश्लेषण के आधार पर उपलब्ध जानकारियों के अनुसार:
चिचिंडा का फल कफ़ नाशक, शरीर की विषाक्तता को दूर करने वाला (डिटॉक्सिफायर), कब्ज़ को दूर करने वाला, शरीर को ठंडक प्रदान करने वाला, यकृत और हृदय को सुरक्षा प्रदान करने वाला, कृमिनाशक, मधुमेहरोधी है।
मोटापे से बचाव में सहायक
यह साइनस, साँस के रोगों, हाइपरटेंशन, मधुमेह और गैस्ट्रिक एसिडिटी के इलाज में सहायक है। ये मोटापे से बचाव और रोकथाम में भी लाभदायक है। इसे कई प्रकार के ज्वर के इलाज में लाभकारी माना गया है। यह पीलिया और यकृत की अन्य बीमारियों के इलाज में भी सहायक है। यह डीहाइड्रेशन और घबराहट (पेल्पटेशन) की समस्या को दूर करने वाला है। इसका उपयोग कई त्वचा रोगों, भूख न लगना और मिचली के इलाज में भी लाभकारी माना गया है।
चिचिंडा के फल के साथ इसके पूरे पेड़ को औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है।