महुआ जिसे बंगाली, गुजराती, मराठी और हिन्दी में महुआ, कन्नड़-हिप्पे (hippe), मलयालम-पूनामिलुपा (poonamilupa), उड़िया-महुला (mahula), तमिल-इलुप्पाई (iluppai), तेलगु -इप्पा (ippa) कहते हैं। यह आदिवासियों के लिए वरदान माना जाता है। आदिवासी भूख से लेकर इलाज तक की जरूरतों को इससे पूरा करते हैं। वे इसके तने की छाल, पत्तियों से लेकर फूल, फल, और बीज तक का इस्तेमाल करते हैं। ग्रामीण अंचलों के अलावा शहरी क्षेत्रों के भी काफी लोग इससे परिचित ही होंगे। हिंदुओं में मनाए जाने वाले हलछठ में महुआ के फूल दही के साथ पूजा में चढ़ाये जाते हैं।
महुआ के कच्चे फलों की सब्जी
सामान्यतः महुआ का इस्तेमाल उसके कच्चे फलों की सब्जी के रूप में ही ज्यादा होता है। पहले इसका भोजन में इस्तेमाल इसके फूल से शुरू होकर पके फल पर आकर समाप्त होता था। फूल के रस से पुए और सूखे फूल से लड्डू बनाने का बहुत प्रचलन था। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में फूल से चटनी और रस से गुड़ भी बनाया जाता था। लोग फूल को पीस कर रोटी के आटे मे भी मिला लेते थे। कच्चे फूल को भूनकर भी खाया जाता था।
पहले इन पकवानों का बहुत प्रचलन था। अब यह कुछ क्षेत्रों और समुदायों तक ही सिमट कर रह गया है। महुआ के कच्चे फल की सब्जी और पके फल को लोग ऐसे ही खाते थे। आज भी जिन घरों मे इसका प्रचलन है वहाँ पर लोग इसे ऐसे ही खाते हैं। महुआ के फूल को सुखाकर लोग लम्बे समय तक रख लेते हैं। इसका प्रयोग भोज्य पदार्थ की तरह कम अन्य व्यावसायिक संदर्भों में ज्यादा होता है।
महुआ का ताजा फूल मिश्रित सफ़ेद-पीला और सूखने पर मिश्रित लाल- भूरा होता है। कच्चा फल हरा और पका फल मिश्रित लाल – पीला रंग का होता है। इसके फूल मार्च से अप्रैल और फल मई से अगस्त तक मिलते हैं। पके फल जुलाई से आना शुरू हो जाते हैं।
पूर्व मे किए गए अध्ययन और विश्लेषण इसके पोषण से भरपूर होने की जानकारी देते हैं।
महुआ के फूल – प्रोटीन के अच्छे स्रोत
कार्बोहाईड्रेट और प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं महुआ के फूल। इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन और पोटेशियम लवण (मिनेरल्स) पाये जाते हैं। इसमें विटामिन सी, राइबोफ्लेविन और नियासिन की भी अच्छी मात्रा होती है। इसके अलावा इसमें बायोटिन और इनोसिटोल नामक विटामिन्स भी पाये जाते हैं।
महुआ के फल मिनेरल्स से भरे
कार्बोहाइड्रेट, फैट, और प्रोटीन महुआ के पके फल में पाया जाता है। इसमें कैल्शियम, फोस्फोरस और आयरन लवण (मिनेरल्स) के साथ कैरोटीन और सी विटामिन भी पाये जाते हैं। कार्बोहाइड्रेट शरीर को ऊर्जा प्रदान करने और प्रोटीन शरीर निर्माण के लिए ज़रूरी होता है। कैल्शियम, और फास्फोरस हड्डियों और दाँतो के निर्माण के लिए जरूरी है। आयरन हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए और पोटैशियम शरीर में द्रव्य संतुलन और मांसपेशियों की कार्यशीलता के लिए ज़रूरी होता है।
विटामिन सी एक अच्छा ऐंटी-ऑक्सीडेंट होने के साथ शरीर में आयरन के अवशोषण के लिए ज़रूरी होता है। राइबोफ्लेविन, नियासिन, बायोटिन और इनोसिटोल; कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा के चयापचय (मेटाबोलिज़्म) के लिए ज़रूरी होता है। कैरोटीन विटामिन ए का मुख्य स्रोत है और ऐंटी-ऑक्सीडेंट की तरह भी काम करता है। महुआ के पोषण गुण को देखते हुए वैज्ञानिक इसे अच्छा पूरक आहार मानने के पक्ष में हैं।
महुआ के औषधीय गुण की गवाही देते हैं शोध और अध्ययन
इसके फूल में दर्दनाशक (analgesic), यूरिन को बढ़ाने (diuretic), ब्रोंकाइटिस और खांसी के इलाज में लाभकारी, टॉनिक, लिवर को डैमेज होने से बचाने (hepatoprotective) के गुण पाये जाते हैं। इसमें सिरम बिलिरूबिन, प्रोटीन, अल्बूमिन, एसजीपीटी, एसजीओटी, एल्केलाईन फोस्फेट के स्तर को कम करने का भी गुण पाया जाता है।
महुआ के फल में अस्थमा, थाइसिस (एक प्रकार की टीबी) के इलाज में लाभकारी होने और जीवाणुरोधी गुण पाये जाते हैं।
महुआ का बीज भी पौष्टिक
शोध महुआ के बीज में भी पौष्टिक और औषधीय गुण की पुष्टि करते हैं। परंतु इसके इस्तेमाल में सावधानी जरूरी है।महुआ के बीज से तेल निकाला जाता है। इसे कुछ लोग खाना पकाने में भी इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इसमें एक तत्व अपनी ज्यादा मात्रा के कारण हानिकारक स्थिति में होता है। इसे कुछ विधियों से आसानी से कम किया जा सकता है।
भोजन में इस्तेमाल में लाने से पहले इससे उक्त तत्व की हानिकारक मात्रा को हटाना बहुत जरूरी है। गांवों में लोग परंपरागत तरीके से ये प्रक्रिया करने के बाद ही इस तेल का इस्तेमाल भोजन में करते हैं। महुआ के बीज का आटा प्रोटीन से भरपूर होता है परंतु बीज में उपस्थित तत्व की हानिकारक मात्रा को हटाना जरूरी है इसीलिए ये सामान्य इस्तेमाल में नहीं है।
महुआ में एक विशेष गंध होती है। इसकी वजह से इसे एक समय में बहुत ज्यादा नहीं खाया जा सकता है। कई लोगों को इसकी वजह से सिर दर्द या उल्टी की समस्या महसूस होती है। इसी को ध्यान मे रखते हुए बहुत से अनुसंधान के द्वारा कई खाद्य पदार्थ तैयार किए गए हैं। इसमें बिस्कुट, केक, सॉस, जैम, जेली, चॉकलेट प्रमुख हैं। परीक्षण (test) के आधार पर ये पूरी तरह से खाने योग्य और सुरक्षित माने गए हैं।