राष्ट्रपति ने नर्सिंग सेवा के 36 कर्मियों को राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार प्रदान किए
नर्सों की निस्वार्थ समर्पण और करुणा के लिए सराहना की
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में नर्सिंग सेवा के 36 कर्मियों को राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्ष वर्धन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्वनी कुमार चौबे उपस्थित थे। कोझीकोड केरल की स्व. श्रीमती लिनी सजीश (मरणोपरांत) की ओर से पुरस्कार उनके पति ने प्राप्त किया। इसके अलावा विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से 35 पुरस्कृत कर्मियां (सहायक नर्स, मिडवाइफ्स (एएनएम), लेडी हेल्थ विजिटर (एलएचवी) और नर्सों ने राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त किया।
राष्ट्रपति ने स्व. श्रीमती लिनी सजिश की अद्वितीय समर्पण की सराहना की। श्रीमती सजीश की केरल में निपाह संक्रमण से ग्रस्त रोगी की देखभाल करते मृत्यु हुई थी। राष्ट्रपति ने अन्य पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और कहा कि नर्सें रोगियों और समुदाय को किफायती और गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा “नर्सें गुणवत्ता संपन्न तथा किफायती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, स्वास्थ्य की अनेक चुनौतियों का समाधान करती हैं और रोगियों, परिजनों और समुदाय की आवश्यकताएं पूरी करती हैं। विश्व को आज अधिक से अधिक देखभाल और करुणा की आवश्यकता है और वास्तव में नर्सें सेवा, सुश्रुषा, करुणा की प्रतीक हैं”।
उन्होंने कहा “हमारी नर्सें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और अस्पतालों में काम कर रहीं हैं और उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों-पोलियो, मलेरिया और एएचआईवी/एड्स के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भमिका निभाई है। विशेषज्ञ, सक्षम और अति कुशल नर्सों की मांग काफी बढ़ रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि तृतीय और चतुर्थ स्तर के देखभाल के लिए भी मानव संसाधन की मांग बढ़ रही है जिनके लिए गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण संस्थानों की आवश्यकता है”। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए सरकार ने नर्सिंग सेवा के लिए सेवा-पूर्व और सेवाकालीन प्रशिक्षण, शिक्षा और उन्नयन के और विकास के लिए कई पहल की है।
राष्ट्रपति ने कहा “देश को आपकी (नर्सों की) निस्वार्थ सेवा और समर्पण पर गर्व है”। उन्होंने कहा कि भारत की नर्सों ने विदेशों में काम करते हुए देश का नाम रोशन किया है और अर्जित राशि अपने देश में भेजकर एक बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि नर्सों की दया और सेवा रोगियों के रोगमुक्त होने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण स्तंभ का काम करती है। राष्ट्रपति ने कहा कि नर्सों की समाज और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका की मान्यता के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2020 को नर्सों और मिडवाइफ्स का वर्ष घोषित किया है। यह वर्ष फ्लोरेंस नाइटिंगेल की 200वीं जयंती का भी वर्ष है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल की स्मृति में यह पुरस्कार दिए जाते हैं।
राष्ट्रपति ने देश में वृद्ध जनसंख्या के मुद्दों का उल्लेख किया और वृद्धजनों की देखभाल विषय पर एक पाठ्यक्रम की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि वृद्धजनों की सेवा और देखभाल करने वालों के लिए प्रशिक्षित नर्स होना जरूरी नहीं है। लेकिन वह वृद्धावस्था देखभाल के प्राथमिक प्रशिक्षण से निश्चित रूप से लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा हालांकि भारत में वृद्धजनों की देखभाल परिवार करते हैं लेकिन बदलती जीवनशैली के कारण इस क्षेत्र में पेशेवर सेवा और देखभाल करने वालों की मांग बढ़ रही है।
सरकार ने समाज के प्रति नर्सों की उल्लेखनीय सेवा को मान्यता देते हुए 1973 में फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कारों की शुरुआत की थी।
पुरस्कार वितरण समारोह में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव सुश्री प्रीति सूदन, विशेष सचिव (स्वास्थ्य) श्री अरूण सिंघल और अन्य वरिष्ठ अतिथि तथा आमंत्रित महिलाएं और पुरुष उपस्थित थे।