अण्डे का फण्डा सेहत से इम्यूनिटी तक
“संडे हो या मंडे रोज़ खायें अण्डे” बचपन से बहुत लोग इसे सुनते गुनगुनाते आए होंगे। सेहत बनानी है तो रोज अण्डा खाओ ये भी सुनते आए हैं। पर “रोज़ खाएं अण्डे” इसके बारे में अलग समय पर कई सिफ़ारिशें हुई हैं। अण्डा रोज़ खा सकते हैं कि नहीं, कितना खा सकते हैं, इसके कई सुझाव हैं।
अण्डे के सेवन के बारे में विभिन्न शोध के आधार पर कई सुझाव मिलते हैं। अलग देशों और समुदाय के लिए भिन्न सिफ़ारिशें मिलती हैं। अण्डे में क्या है खास और क्या सावधानियाँ आइये जानते हैं…
विशिष्ट आहार
अण्डा आहार में एक विशिष्ट दर्जा रखता है। पोषक तत्वों की उपस्थिती और लगभग पूरी तरह से अवशोषित हो जानने की वजह से यह अच्छा और संतुलित आहार है।
अण्डा शरीर की वृद्धि और विकास के लिए पूरी तरह से उपयुक्त है। इसमें वृद्धि और विकास के लिए जरूरी लगभग सभी पोषक तत्व पाये जाते हैं।
यह शरीर को शक्ति और सामर्थ्य देने में सहायक है। शरीर में ऊर्जा के स्तर को बेहतर रखने में सहायक है। यह दिमाग को स्फूर्ति और सजकता प्रदान करने में प्रभावी है। कुपोषण से निपटने में भी यह अच्छा आहार विकल्प है।
इम्यूनिटी रखे दुरुस्त
शारीरिक वृद्धि-विकास में सहायक होने के साथ अण्डा शरीर के सुरक्षा तंत्र (इम्यूनिटी) को स्वस्थ रखने में प्रभावी है। यह तंत्रिकाओं और मांसपेशियों को दुरुस्त रखने और इनकी क्रियाशीलता को सुचारु बनाए रखने में सहायक है। यह नेत्रों को स्वस्थ रखने में सहायक है।
पोषक तत्वों का खजाना
प्रोटीन है खास
एक पूरे अण्डे में लगभग 13 प्रतिशत प्रोटीन और इतनी ही वसा होती है। अण्डे में पायी जाने वाली प्रोटीन पोषण के हिसाब से अच्छी मानी जाती है। उच्च जैविक मान वाली इस प्रोटीन में सभी आवश्यक अमीनो अम्ल उचित अनुपात में होते हैं। यह शरीर में पूरी तरह से अवशोषित होने वाली प्रोटीन है।
अण्डे का सफ़ेद भाग कई तरह की प्रोटीन से बना होता है। अण्डे से मिलने वाली सम्पूर्ण प्रोटीन का आधा भाग इसके सफ़ेद भाग में होता है।
विटामिन-मिनेरल्स में खास सफ़ेद, पीला भाग
सफ़ेद भाग में बी विटामिन्स की अच्छी मात्रा होती है। यह मिनेरल्स की भी आपूर्ति करता है।
अण्डे का पीला भाग कोलेस्टेरॉल और वसा का स्रोत है। इसके अलावा इसमें मिनेरल्स, प्रोटीन और कार्बनिक पदार्थ होते हैं।
अण्डे का पीला भाग विटामिन ए, ई, डी और फोलेट का महत्वपूर्ण स्रोत है।
अण्डा आयरन, कॉपर, फॉस्फोरस, सल्फर, सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, ज़िंक, और सिलेनियम की आपूर्ति करता है।
आयरन, फॉस्फोरस और कैल्शियम की सर्वाधिक मात्रा अंडे के पीले भाग में होती है। अंडे के पीले और सफ़ेद भाग में बाकी मिनेरल्स भिन्न-भिन्न मात्रा में होते हैं। अंडे में ल्यूटिन और ज़ीजैंथिन कैरेटीनोइड्स भी होते हैं।
अण्डे में कोलेस्टेरॉल
एक अण्डे में औसतन 180 मिलीग्राम कोलेस्टेरॉल होता है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर आहार द्वारा कोलेस्टेरॉल प्राप्ति के अलग- अलग मानक हैं। कुल मिलाकर एक अण्डे का सेवन कोलेस्टेरॉल की आधे से ज्यादा दैनिक आवश्यकता की पूर्ति कर देता है। यह तत्व शरीर के लिए निश्चित मात्रा में आवश्यक होता है। आहार द्वारा सीमित (मॉडरेशन) मात्रा में इसके सेवन की सलाह दी जाती है।
कोलेस्टेरॉल नहीं बढ़ाता अण्डा
अण्डे को कोलेस्टेरॉल बढ़ाने वाला माना जाता है जो पूरी तरह सही नहीं है। शरीर में अच्छा और बुरा दो तरह के कोलेस्टेरॉल बनते हैं। अण्डा कोलेस्टेरॉल का एक स्रोत है। सीमित मात्रा में इसका सेवन शरीर में अच्छे कोलेस्टेरॉल को बनाता है और बुरे कोलेस्टेरॉल को घटाता है। यह सेहत के लिहाज से अच्छा है।
माना जाता है कि ज्यादा अण्डे का सेवन शरीर में कोलेस्टेरॉल के स्तर को सामान्य से बढ़ा सकता है। इससे इतर अलग-अलग समय पर हुये भिन्न शोध ये निष्कर्ष प्रदान करते हैं कि ऐसा सबके साथ हो जरूरी नहीं।
अन्य हैं कारण
आहारीय कोलेस्टेरॉल के बजाय संतृप्त वसा की ज्यादा मात्रा, ट्रान्सफैट और एडेड शुगर कोलेस्टेरॉल बढ़ने के लिए ज्यादा जिम्मेदार माने गए हैं। वनस्पति घी, मक्खन, चर्बी, बेकरी उत्पाद, तले हुए फास्ट फूड इसमें प्रमुख हैं। इसलिए अंडे के सेवन के साथ अन्य स्रोतों से कोलेस्टेरॉल और संतृप्त वसा की मात्रा को नियंत्रित रखना जरूरी है। ऐसा न हो पाने पर हृदय रोगों की आशंका बढ़ जाती है।
कितना करें सेवन
भारत में सामान्यतः दिन में एक अण्डा और हफ्ते में तीन अण्डे की सिफ़ारिश है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अण्डा प्रतिदिन सेवन को भी सुरक्षित माना गया है। अण्डे के सफ़ेद भाग का प्रतिदिन और जरूरत के हिसाब से ज्यादा सेवन भी कर सकते हैं।
हफ्ते में तीन से चार दिन पूरा अण्डा और बाकी दिन अण्डे के सफ़ेद भाग का सेवन एक अच्छा विकल्प है।
पूर्णतया स्वस्थ्य और शारीरिक रूप से सक्रिय लोग प्रतिदिन एक अण्डे का सेवन कर सकते हैं। पर जरूरी है कि बाकी स्रोतों से संतृप्त वसा और कोलेस्टेरॉल को निश्चित रूप से नियंत्रित और जरूरत के अनुपात में रखा जाए।
विशेष परिस्थिति में अण्डे का इससे ज्यादा सेवन भी किया जा सकता है। इसके लिए व्यक्ति विशेष की ज़रूरत, शरीर की प्रकृति, क्रियाशीलता, अन्य स्रोतों से ग्रहण होने वाली वसा के बीच संतुलन बनाकर किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में किया जा सकता है।
ये बरतें सावधानी
मधुमेह के रोगी और जिन लोगों के परिवार में हृदय रोग का इतिहास है वो सेवन में सावधानी बरतें। इसके अत्यधिक सेवन से बचें। अगर शरीर में कोलेस्टेरॉल का स्तर बहुत बढ़ा है तो अंडे का सेवन तत्काल बन्द कर दें। उच्च रक्तचाप से ग्रसित लोग भी इसके सेवन पर नियंत्रण रखें ।
एनीमिया में फायदेमंद
अण्डा आसानी से अवशोषित होने वाले आयरन का स्रोत है। इसमे फोलेट भी पाया जाता है। ये शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए जरूरी है। इसीलिए अण्डे को एनीमिया से ग्रसित लोगों के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।
सेहत सुधार में लाभदायक
आसानी से पचने और अवशोषित होने की वजह से बहुत से रोगियों के लिए पौष्टिक आहार का विकल्प है। बहुत से रोगों से सुधार की अवस्था में शरीर को चुस्त-दुरुस्त बनाने में उपयोगी है।
शिशुओं का पूरक आहार
अण्डे का पीला भाग बहुत ही आसानी से पच जाता है। यह शिशुओं के पूरक आहार के लिए भी उत्तम है।
इन रोगों में भी लाभदायक
पाचन तंत्र (गैस्ट्रो इंटेस्टीनल) सम्बन्धी रोगों में अण्डा एक अच्छा आहार है। पोषक तत्व प्रदान करने के साथ इससे आँत में अपशिष्ट (व्यर्थ) कम जमा होते हैं। कोलन (बड़ी आंत का भाग) सम्बन्धी बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए यह सर्वोतम आहार है।
अण्डे का पाचन
अण्डे का पाचन वह कितना पकाया गया है इस पर निर्भर करता है। ऑमलेट, और सख्त उबले हुए अण्डे को पचने में ज्यादा समय लगता है। कच्चा अण्डा और कम तेल में पकाया गया सादा अण्डा (पोच्ड एग इन ऑयल) इससे कम समय लेते हैं। हल्का उबला अण्डा (लाइट या सॉफ्ट बॉयल्ड एग) सबसे जल्दी पचता है।
वसा की प्रकृति और पकाने में आंच की तेजी भी पाचन समय को प्रभावित करती है। फ्राई करते समय अण्डे को कम तेल और मद्धिम आँच पर पकायें। सख्त उबले अण्डे को अगर अच्छी तरह से चबा के खाया जाय तो वो भी जल्दी पच सकता है।
कच्चा या पका अण्डा कौन बेहतर
कुछ लोग कच्चे अण्डे को पके की अपेक्षा ज्यादा पौष्टिक मानते हैं जो कि सही नहीं है। कच्चे अण्डे में पाचन में रुकावट डालने वाले तत्व पाये जाते हैं। अण्डे को पकाने पर ये तत्व नष्ट हो जाते हैं। पका अण्डा शरीर में पूरी तरह से अवशोषित हो जाता है। कच्चे अण्डे से बनने वाले व्यंजनों के लिए पॉश्चराइज़्ड अण्डों को इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
कच्चा अण्डा संक्रमण का कारण भी हो सकता है। इससे सलमोनेला के संक्रमण का खतरा होता है। सलमोनेला संक्रमण से टाइफॉयड और पेट और आंतों में सूजन (गस्टरोंएंटेराइटिस) की समस्या होती है।
कितना पकाएं अण्डा
संक्रमण को दूर रखने के लिए अण्डे को सात मिनट तक उबालना चाहिए। पोच के लिए पाँच मिनट तक पकायेँ। हल्के तेल में फ्राई करते समय दोनों तरफ से तीन मिनट के लिए पकाएं।
पथरी में बढ़ सकती है समस्या
पित्ताशय की पथरी (गॉलब्लैडर स्टोन) होने पर कुछ लोगों में अण्डे के सेवन से दर्द और परेशानी (डिसकम्फर्ट) बढ़ सकती है। जिनको यह समस्या महसूस नहीं होती वह अण्डे का सेवन कर सकते हैं।
हो सकती है एलर्जी
कई लोगों को अण्डे से एलर्जी हो सकती है। इसके सेवन से अस्थमा और त्वचा पर खुजली-चकत्ते (अर्टिकेरिया) की समस्या हो सकती है। जिनको किसी तरह की एलर्जी है वो विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह के अनुसार ही इसका सेवन करें। अण्डे से एलर्जी में अण्डे के अलावा वो खाद्य पदार्थ जिसमें अण्डा हो जैसे केक, बिस्किट आदि का सेवन न करें।
संदर्भ स्रोत:
- J David Spence, MD, FRCPC, David JA Jenkins, MD, PhD, FRCP, and Jean Davignon, MD, MSc, FRCPC. Can J Cardiol. Dietary cholesterol and egg yolks: Not for patients at risk of vascular disease
2010 Nov; 26(9): e336–e339. doi: 10.1016/s0828-282x(10)70456-6,PMCID: PMC2989358,PMID: 21076725 - “Egg Consumption and Human Health” A special issue of Nutrients (ISSN 2072-6643).
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