पौष्टिकता की खान गूलर औषधीय गुणों से भी भरपूर

पौष्टिकता और पारम्परिकता का अद्भुत उदाहरण है गूलर

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गूलर अंजीर के जैसा दिखने वाला फल है। ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी अधिकतर लोग गूलर से परिचित तो होंगे पर इसका उपयोग भोज्य पदार्थ के रूप में घटता जा रहा है। हमारे व्यंजनों में गूलर के व्यंजनों की जगह धीरे–धीरे कम होती जा रही है। गूलर पौष्टिकता से भरपूर एवं औषधीय गुणों की खान है। गूलर का कच्चा फल स्वाद में हल्का कसैला (स्लाइटली एस्ट्रिंजेंट) और पका फल मीठा होता है। गूलर का कच्चा फल हरा और पका फल हल्का लाल (डल रेड) होता है।

सामान्यतः गूलर के कच्चे फल की सब्जी विभिन्न विधियों से बनाई जाती है। गूलर के कबाब भी बनाए जाते हैं। कुछ जगहों पर इसका अचार भी बनाया जाता है।

पके फल को लोग ऐसे ही खाते हैं। इससे शर्बत, मीठी रोटी और मिठाई भी बनाई जाती है।

पौष्टिकता के बावजूद पहचान खोता गूलर

गूलर के फल में सूक्ष्म कीटाणु होते हैं इसलिए इसे अच्छी तरह से साफ कर के ही खाना चाहिए। शायद गूलर के फल का अलग स्वाद जो आजकल के ज्यादा प्रचलित और पसंदीदा व्यंजनों से अलग है, इसमें कीटाणुओं की उपस्थिति, और पारम्परिक व्यंजन विधियाँ जो ज्यादा समय मांगती हैं इसके सामान्य उपयोग में बाधा हैं।

गूलर को विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इसे मराठी में उम्बर (umbar), गुजरती– उम्बरो (umbaro), बंगाली– यज्ञडूम्बर (jagyadumbar), कन्नड़– अत्ति (atti), मलयालम– अत्ति (aththi), तमिल– मलइईन मुनिवन (malaiyin munivan), तेलगु– मेड़ी पंडु (medi pandu) कहते हैं।

पौष्टिकता की दृष्टि से-

गूलर में आयरन और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में होता है। यह फाइबर का अच्छा स्रोत है। कैरोटिन, एस्कोर्बिक एसिड और कैल्शियम का भी स्रोत है। प्रोटीन, सोडियम, पोटैशियम और कार्बोहाइड्रेट भी पाया जाता है। आयरन और फॉस्फोरस इसे एनीमिया से लड़ने योग्य बनाते हैं। फॉस्फोरस कैल्शियम के साथ मिलकर हड्डी-दांतों के निर्माण में सहायक होता है। कैरोटिन और ऐस्कोर्बिक एसिड विटामिन ए और सी प्रदान करते हैं। फाइबर मोटापा, मधुमेह और हृदय रोगों की आशंकाओं को कम करता है।

विटामिनों (विटामिन्स) और लवणों (मिनेरल्स) की उपस्थिति की वजह से वैज्ञानिक इसे विटामिन्स और मिनेरल्स के पूरक आहार के रूप में स्थापित करने के पक्ष में हैं। गूलर एंटीओक्सीडेंट्स और फाइटोन्यूट्रीएंट का भी अच्छा स्रोत है जो इसे रोगों से रक्षा, रोकथाम और इलाज़ के लिए उपयोगी बनाते हैं।

वानस्पतिक आधार पर गूलर और अंजीर एक ही पादप की दो अलग प्रजातियाँ हैं। कुछ शोध पोषक तत्वों की उपस्थित मात्रा के आधार पर इनमें अंतर प्रदर्शित करते हैं। गूलर में अंजीर की अपेक्षा प्रोटीन, कैरोटीन, एस्कोर्बिक एसिड, फोस्फोरस और आयरन ज्यादा मात्रा में होता है। अंजीर में गूलर की अपेक्षा कैल्शियम की ज्यादा मात्रा होती है।

पौष्टिकता की खान होने की जानकारी देते हैं शोध और आयुर्वेद के विश्लेषण:

गूलर का फल रक्त में बढ़े हुए शुगर और लिपिड के स्तर को कम करने वाला, कैंसररोधी, अल्सररोधी, फाइलेरियारोधी और जीवाणुरोधी है। इसमें कब्ज को दूर करने और ट्यूमर को बनने से रोकने, हृदय रोगों से बचाव और मधुमेह नियंत्रण का गुण पाया जाता है। यह पाइल्स, सूखी खाँसी, श्वेतप्रदर, मूत्र मार्ग संक्रमण (यूटीआई) में आराम देने वाला है। गूलर का फल नकसीर फूटना (एपिस्टाक्सिस), आवाज चले जाना ( लॉस ऑफ वॉइस), किडनी और स्प्लीन की बीमारियों, रक्त विकार, माहवारी में अत्यधिक रक्त श्राव के इलाज में भी सहायक है। आयुर्वेद के अनुसार गूलर के कच्चे और पके फल अलग–अलग औषधीय गुण वाले होते हैं।

गूलर के फल के अलावा इसकी जड़, पत्ती, छाल और इसके पेड़ से निकालने वाले दूध का भी बहुत औषधीय महत्व है।

नोट: किसी भी नए भोज्य पदार्थ को अपने भोजन में शामिल करने से पहले या भोज्य पदार्थ को नियमित भोजन (रूटीन डाइट) का हिस्सा बनाने से पहले अपने डाइटीशियन, और डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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