Aahar Samhita
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जीमीकन्द – बड़े काम का कंद

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जीमीकन्द सूरन नाम से भी प्रचलित है। यह जमीन के नीचे उगने वाला कंद है। इसका कंद चपटा गोल गहरे भूरे या बादामी रंग का होता है। इसकी दो प्रजातियाँ प्रचलित हैं। एक के कंद छोटे और दूसरे के आकार में काफी बड़े होते हैं। कंद के अंदर का रंग दो प्रकार का होता है। एक सफेद और दूसरा नारंगी-बादामी।

विभिन्न विधियों से जीमीकन्द की बहुत ही स्वादिष्ट सब्जी बनती है। इसकी टिक्की और कबाब भी प्रचलित व्यंजन हैं। जीमीकन्द का आचार और चिप्स भी बनाए जाते हैं। जीमीकन्द के व्यंजनों में खटाई जैसे इमली, अमचूर, नींबू आदि का उपयोग ज़रूरी होता है। बिना खटाई के बनाए गए व्यंजनों को खाने पर मुँह और गले में खुजली जैसा होता है। जो काफी नुकसानदायक हो सकता है। बड़े प्रकार के जीमीकन्द की अपेक्षा छोटे प्रकार के जिमीकन्द से यह प्रभाव ज्यादा होता है।

जीमीकन्द के सूखे स्लाइस और आटा इसके किसी भी समय इस्तेमाल और अन्य कई व्यंजनो में इस्तेमाल के लिए भी प्रचलन में आ रहा है। यह उपस्थित पोषक तत्वों की सघन मात्रा प्रदान करता है।

भिन्न क्षेत्रों में जीमीकन्द को अलग नाम से जाना जाता है। इसे बंगाली, गुजराती, और मराठी में सूरन, पंजाबी और हिन्दी – जिमिकंद , कन्नड़ – सुवर्ण गड्डे (डोड्डा) Suvarna gadde (dodda), मलयालम – चेना (वलतू ) Chena (valathu), उड़िया – हाथीखोजिया आलू (Hathikhojia alu), तमिल – सेनई किज़्हंगु (Senai kizhangu), तेलगु – कांदा डुम्पा (Kanda dumpa) कहते हैं।

पूर्व में वैज्ञानिकों द्वारा किए शोध जीमीकन्द के तमाम गुणों की पुष्टि करते हैं

पोषक तत्वों की उपस्थिति की दृष्टि से

पोटेशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, आयरन, कॉपर, ज़िंक, मैगनीज़ मिनरल्स जीमीकन्द में प्रमुख हैं। इसमें फाइबर और ओमेगा-3 फैटी ऐसिड, विटामिन सी और ई अच्छी मात्रा में पाये जाते हैं। इसमें विटामिन बी कॉम्प्लेक्स में थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियसिन और पाइरिडॉक्सिन के अंश प्रमुख हैं। इसमें बीटा कैरोटिन भी पाया जाता है।

इसके अलावा इसमें फ्लेवेनॉइड्स, फिनोल्स, एल्केलॉइड्स और सपोनिन्स वर्ग के तत्व भी पाये जाते हैं। इसमें एंटिओक्सीडेंट का गुण भी पाया जाता है।

इन तत्वों की उपस्थिति इसे चिकित्सीय, औषधीय एवं स्वथ्यावर्धक गुण प्रदान करती है।

विभिन्न शोधों, पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के विश्लेषण से उपलब्ध जानकारियों के अनुसार –

जीमीकन्द अल्सररोधी, शोथरोधी, ट्यूमररोधी, आक्षेपरोधी (एंटिकन्वल्ज़ेंट), कैंसररोधी, कृमिनाशक, जीवाणुरोधी, दस्तरोधी, मधुमेहरोधी, दर्दनाशक, यकृत और आमाशय को सुरक्षा प्रादन करने वाला, केंद्रीय स्नायुतंत्र के तनाव को कम करने वाला (सी.एन.एस. डिप्रेसेंट ), शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता में सुधार करने वाला है।

पारंपरिक रूप में जीमीकन्द का उपयोग बवासीर, पेट से संबन्धित विकारों ट्यूमर, तिल्ली (स्प्लीन) का बढ़ना, एस्थमा, गठिया, फीलपांव, भूख का न लगना, उदर शूल, कब्ज़, पेट फूलना, कृमि रोग, ब्रोंकाइटिस, वात, कफ़, थकान, एनीमिया, ऋतुरोध (ऐमेनॉरीअ), मासिकधर्म की पीड़ा (डिस्मेनरिअ), शारीरिक दुर्बलता के इलाज में उपयोगी माना गया है। यकृत की समस्या में इसका उपयोग बहुत ही लाभकारी माना गया है।

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यह शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने वाला, बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने वाला और रक्तचाप को नियंत्रित रखकर हृदय रोगों से बचाव करता है। यह खून का थक्का जमने से भी रोकता है। यह वजन को नियंत्रित कर मोटापे को कम करने में सहायक है।

जीमीकन्द में एंटीएजिंग गुण भी पाये जाते हैं । यह एस्ट्रोजेन हॉरमोन के स्तर को बढ़ाने वाला और शरीर में अन्य कई हॉरमोन के स्तर को सामान्य बनाए रखने में सहायक होकर स्त्री स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना गया है। यह बलवर्धक (टॉनिक) है और शरीर में पोषक रसो के अवशोषण में मदद करने वाला है और इसलिए शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के लिए लाभकारी माना गया है।

ध्यान रखें – कई रोग एवं कुछ विशेष अवस्थाओं में और लंबे संमय तक लगातार इसके उपयोग को मना भी किया गया है जिसके लिए विशेषज्ञ सलाह आवश्यक है।
नोट: किसी भी नए भोज्य पदार्थ को अपने भोजन में शामिल करने से पहले या भोज्य पदार्थ को नियमित भोजन (रूटीन डाइट) का हिस्सा बनाने से पहले अपने डाइटीशियन, और डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
1 Comment
  1. Gaurav says

    Very informative article

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