केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने एनएफएचएस-5 रिपोर्ट जारी की
वर्ष 2020-21 के लिए ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी प्रकाशन भी जारी
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने आज गुजरात के वडोदरा में आयोजित ‘स्वास्थ्य चिंतन शिविर’ में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल और केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार की उपस्थिति में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के पांचवें दौर की राष्ट्रीय रिपोर्ट जारी की।
इस रिपोर्ट में जनसंख्या, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और संबंधित क्षेत्र जैसे जनसंख्या की विशेषताऐं; प्रजनन क्षमता; परिवार नियोजन; शिशु और बाल मृत्यु दर; मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य; पोषण और एनीमिया; रुग्णता और स्वास्थ्य देखभाल; महिला सशक्तिकरण आदि प्रमुख क्षेत्रों पर विस्तृत जानकारी शामिल है।
एनएफएचएस के निरंतर रूप से जारी इन संस्करणों का मुख्य उद्देश्य भारत में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और अन्य उभरते क्षेत्रों से संबंधित विश्वसनीय और तुलनीय डेटा प्रदान करना है। एनएफएचएस-5 सर्वेक्षण का कार्य देश के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों (मार्च, 2017 तक) के लगभग 6.37 लाख प्रतिदर्श परिवारों में किया गया है, जिसमें 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों को अलग-अलग करते हुए जिला स्तर पर पृथक संग्रह अनुमानों को प्रदान करने के लिए शामिल किया गया है। जिला स्तर तक अनुमान राष्ट्रीय रिपोर्ट सामाजिक-आर्थिक और अन्य पृष्ठभूमि विशेषताओं द्वारा डेटा भी प्रदान करती है और यह नीति निर्माण और प्रभावी कार्यक्रम कार्यान्वयन के लिए उपयोगी है।
एनएफएचएस-5 के दायरे को सर्वेक्षण के पहले दौर (एनएफएचएस-4) के संबंध में विस्तारित किया गया है, जिसमें मृत्यु पंजीकरण, पूर्व-विद्यालय शिक्षा, बाल टीकाकरण के विस्तारित क्षेत्र, बच्चों के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों के घटक, मासिक धर्म जैसे नए आयाम शामिल हैं। स्वच्छता, शराब और तंबाकू के उपयोग की आवृत्ति, गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के अतिरिक्त घटक, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी लोगों में उच्च रक्तचाप और मधुमेह को मापने के लिए विस्तारित आयु सीमा, मौजूदा कार्यक्रमों की निगरानी और इन्हें मजबूत करने के साथ-साथ नए तरीके से नीति हस्तक्षेप के लिए रणनीतियाँ विकसित करने के लिए आवश्यक इनपुट देगा। इस प्रकार, एनएफएचएस-5 महत्वपूर्ण संकेतकों के बारे में जानकारी प्रदान करता है जो देश में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्रगति पर निगरानी करने में सहायक होते हैं। एनएफएचएस-4 (2015-16) अनुमानों का उपयोग बड़ी संख्या में एसडीजी संकेतकों के लिए आधारभूत मूल्यों के रूप में किया गया था और एनएफएचएस-5 विभिन्न स्तरों पर लगभग 34 एसडीजी संकेतकों के लिए डेटा प्रदान करेगा।
एनएफएचएस-5 राष्ट्रीय रिपोर्ट के प्रमुख परिणाम- एनएफएचएस-4 (2015-16) से एनएफएचएस-5 (2019-21) तक की प्रगति
- भारत ने हाल के दिनों में जनसंख्या नियंत्रण उपायों में उल्लेखनीय प्रगति की है। कुल प्रजनन दर (टीएफआर), प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या, एनएफएचएस-4 और 5 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर 2.2 से 2.0 तक कम हुई है। भारत में केवल पांच राज्य हैं, जो प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर से 2.1. ऊपर हैं इनमें बिहार (2.98), मेघालय (2.91), उत्तर प्रदेश (2.35), झारखंड (2.26) और मणिपुर (2.17) शामिल हैं।
- समग्र गर्भनिरोधक प्रसार दर (सीपीआर) देश में 54% से बढ़कर 67% हो गया है। लगभग सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीकों का उपयोग भी बढ़ा है। परिवार नियोजन की अधूरी जरूरतें 13 फीसदी से घटकर 9 फीसदी रह गई हैं। अतृप्ति की को पूर्ण करने आवश्यकता, जो अतीत में भारत में एक प्रमुख विषय रहा है, घटकर 10 प्रतिशत से भी कम रह गया है।
- पहली तिमाही में एएनसी दौरा करने वाली गर्भवती महिलाओं का अनुपात एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 के बीच 59 से बढ़कर 70 प्रतिशत हो गया। अधिकांश राज्यों में, नागालैंड में सबसे अधिक 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई, इसके बाद मध्य प्रदेश और हरियाणा का स्थान रहा। इसके विपरीत, गोवा, सिक्किम, पंजाब और छत्तीसगढ़ में पहली तिमाही में एएनसी के दौरे में मामूली कमी देखी गई। राष्ट्रीय स्तर पर 4+ एएनसी में 2015-16 में 51 प्रतिशत से 2019-21 में 58 प्रतिशत तक की काफी प्रगति देखी गई है।
- भारत में संस्थागत जन्म 79 प्रतिशत से बढ़कर 89 प्रतिशत हो गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगभग 87 प्रतिशत जन्म संस्थानों में होता है और शहरी क्षेत्रों में यह 94 प्रतिशत है। अरुणाचल प्रदेश में संस्थागत जन्म में अधिकतम 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई, इसके बाद असम, बिहार, मेघालय, छत्तीसगढ़, नागालैंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। पिछले 5 वर्षों में 91 प्रतिशत से अधिक जिलों में 70 प्रतिशत से अधिक जन्म स्वास्थ्य सुविधाओं में हुए हैं।
- एनएफएचएस-4 में 62 प्रतिशत की तुलना में एनएफएचएस-5 में 12-23 महीने की उम्र के तीन-चौथाई (77%) से अधिक बच्चों का पूरी तरह से टीकाकरण किया गया। बच्चों में पूर्ण टीकाकरण कवरेज नागालैंड में 57 प्रतिशत से लेकर डीएनएच और डीडी में 95 प्रतिशत तक है। ओडिशा (91%), तमिलनाडु (89%), और पश्चिम बंगाल (88%) ने भी अपेक्षाकृत अधिक टीकाकरण कवरेज दिखाया है।
- पिछले चार वर्षों से भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग का स्तर 38 से 36 प्रतिशत तक मामूली रूप से कम हो गया है। 2019-21 में शहरी क्षेत्रों (30%) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (37%) के बच्चों में स्टंटिंग अधिक है। स्टंटिंग में भिन्नता पुडुचेरी में सबसे कम (20%) और मेघालय में सबसे ज्यादा (47%) है। हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और सिक्किम (प्रत्येक में 7 प्रतिशत अंक), झारखंड, मध्य प्रदेश और मणिपुर (प्रत्येक में 6 प्रतिशत अंक), और चंडीगढ़ और बिहार (प्रत्येक में 5 प्रतिशत अंक) में स्टंटिंग में उल्लेखनीय कमी देखी गई। एनएफएचएस-4 के साथ, एनएफएचएस-5 में अधिकांश राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में अधिक वजन या मोटापे की व्यापकता में वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय स्तर पर यह महिलाओं में 21 प्रतिशत से बढ़कर 24 प्रतिशत और पुरुषों में 19 प्रतिशत से 23 प्रतिशत हो गया है। केरल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश, गोवा, सिक्किम, मणिपुर, दिल्ली, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पंजाब, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप (34-46%) में एक तिहाई से अधिक महिलाएं अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं।
- एनएफएचएस-5 सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में एसडीजी संकेतकों में समग्र सुधार दर्शाता है। विवाहित महिलाएं आमतौर पर तीन घरेलू निर्णयों में भाग लेती हैं (स्वयं के लिए स्वास्थ्य देखभाल के बारे में; प्रमुख घरेलू खरीदारी करना; अपने परिवार या रिश्तेदारों से मिलने जाना) यह दर्शाता है कि निर्णय लेने में उनकी भागीदारी अधिक है, लद्दाख में 80 प्रतिशत से लेकर नागालैंड और मिजोरम में 99 प्रतिशत तक। ग्रामीण में (77%) और शहरी मे (81%) का मामली अंतर देखा गया है। महिलाओं के पास बैंक या बचत खाता होने का प्रचलन पिछले 4 वर्षों में 53 से बढ़कर 79 प्रतिशत हो गया है।
- एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 के बीच, स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन (44% से 59%) और बेहतर स्वच्छता सुविधाओं (49% से 70%) का उपयोग, जिसमें साबुन और पानी से हाथ धोने की सुविधा (60% से 78%) शामिल है) में काफी सुधार हुआ है। बेहतर स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग करने वाले परिवारों के अनुपात में पर्याप्त वृद्धि हुई है, जिसका श्रेय स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम को दिया जा सकता है।
एनएफएचएस-6 (2023-24) में नए आयाम- एनएफएचएस-5 से सीखना
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने सामान्य रूप से भारतीय आबादी और विशेष रूप से कमजोर और वंचित वर्गों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए आयुष्मान भारत, पोषण अभियान आदि जैसे कई प्रमुख कार्यक्रमों का शुभारंभ किया है। इसके अलावा, भारत अपने विभिन्न कार्यक्रमों के लाभार्थियों को लाभ के सीधे बैंक हस्तांतरण की दिशा में भी महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ रहा है। इसके अलावा, भारत सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय एसडीजी से संबंधित स्वास्थ्य लक्ष्यों की लगातार निगरानी कर रहा है। वर्तमान में जारी कोविड-19 महामारी के कारण, देश में स्वास्थ्य प्रणाली से संबंधित कई नई चुनौतियाँ सामने आई हैं।
इस संदर्भ में, एनएफएचएस-6, जिसे 2023-24 के दौरान आयोजित किया जाना है, में निम्नलिखित विभिन्न नए क्षेत्रों को शामिल करने का प्रस्ताव है:
“कोविड -19 अस्पताल में भर्ती और संकट वित्तपोषण, कोविड -19 टीकाकरण, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत निदेशक लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), प्रवासन, स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग– स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र, स्वास्थ्य बीमा/ स्वास्थ्य वित्त-पोषण, डिजिटल साक्षरता, परामर्श गर्भपात के बाद परिवार नियोजन और परिवार नियोजन के नए तरीकों के तहत प्रोत्साहन, परिवार नियोजन कार्यक्रम की गुणवत्ता, मासिक धर्म स्वच्छता, वैवाहिक पसंद, स्वास्थ्य जागरूकता और जरूरतों के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा दौरा, स्तनपान के दौरान आंगनवाड़ी/आईसीडीएस केंद्र से पूरक पोषण, रक्त आधान (महीना और वर्ष), महिलाओं में वित्तीय समावेशन, एनीमिया का ज्ञान, हेपेटाइटिस बी एंड सी, सिफलिस आदि।
पिछले संस्करणों के विपरीत, एनएफएचएस-6 शहरी क्षेत्र के लिए नमूना फ्रेम के रूप में एनएसओ, एमओएसपीआई के शहरी फ्रेम सर्वेक्षण (यूएफएस, 2012-17) को अपनाएगा। यह रणनीति गैर-नमूना त्रुटियों को काफी हद तक कम कर देगी क्योंकि इससे 2011 की जनगणना फ्रेम का उपयोग करके सीमा की पहचान की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए, एनएसओ से गांवों की अद्यतन सूची को एक फ्रेम के रूप में उपयोग किया जाएगा, जिसे सहायक जानकारी प्राप्त करने के लिए जनगणना से पीसीए से मिलान किया जाएगा।
चिंतन शिविर के अवसर पर, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2020-21 (31 मार्च, 2021 तक) के लिए ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी प्रकाशन भी जारी किया है। यह सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों पर जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य वितरण प्रणाली के बेहतर प्रबंधन के लिए अतिरिक्त संसाधनों की पहचान की सुविधा भी प्रदान करता है। इसमें नीति नियोजकों, शोधकर्ताओं, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों द्वारा निर्णय लेने और नीतिगत हस्तक्षेप के लिए डेटा का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
आरएचएस 2020-21 के अनुसार, देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमशः 157819 उप-केंद्र (एससी), 30579 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और 5951 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) संचालित हैं। इसके अलावा, पूरे देश में कुल 1224 उपमंडल/उप-जिला अस्पताल और 764 जिला अस्पताल (डीएच) संचालित हैं।
प्रकाशन विशिष्ट मानदंडों के आधार पर देश भर में प्रमुख बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों की आवश्यकता, रिक्ति और कमी के बारे में जानकारी भी प्रदान करता है जो किसी भी अंतराल को भरने में मदद करता है।
ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी प्रकाशन की प्रगति
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय वर्ष 1992 से ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी (आरएचएस) प्रकाशन को हर वर्ष प्रकाशित कर रहा है, जिसमें 31 मार्च को भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में उपलब्ध मानव संसाधन और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे से संबंधित महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण जानकारी शामिल है।
नई आवश्यकता के आधार पर समय-समय पर प्रकाशन के प्रारूप में परिवर्तन किया गया है। वर्ष 2018-19 के बाद से शहरी स्वास्थ्य घटकों के संबंध में डेटा को भी प्रकाशन में शामिल किया गया है।
देश में स्वास्थ्य कार्यक्रमों और नीति की योजना बनाने के लिए, इस प्रकाशन का उपयोग विभिन्न हितधारकों जैसे नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, गैर-सरकारी संगठनों और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न संस्थानों द्वारा किया जाता है। यह विभिन्न आरटीआई और संसद से संबंधित प्रश्नों के लिए सूचना के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में भी कार्य करता है।
वर्ष 2013-14 के संबंध में कुछ प्रमुख मानदंड इस प्रकार हैं:
संकेतकों का नाम | वर्ष 2013-14 (31 मार्च 2014 को) | वर्ष 2020-21 (31 मार्च 2021 को) | वर्ष 2013-14 के संदर्भ में 2020-21 की आयु वृद्धि% |
एससी की संख्या | 152326 | 157819 | 3.6 |
पीएचसी की संख्या | 25020 | 30579 | 22.2 |
सीएचसी की संख्या | 5363 | 5951 | 11.0 |
एसडीएच की संख्या | 1024 | 1224 | 19.5 |
डीएच की संख्या | 755 | 764 | 1.2 |
एससी और पीएच केंद्रों में एचडब्ल्यू (एफ)/ एएनएम | 217780 | 235757 | 8.3 |
पीएचसी में डॉक्टर | 27335 | 38525 | 40.9 |
सीएचसी में कुल विशेषज्ञ | 4091 | 5760 | 40.8 |
सीएचसी में रेडियोग्राफर | 2189 | 2746 | 25.4 |
पीएचसी और सीएचसी में फार्मासिस्ट | 22689 | 33857 | 49.2 |
पीएचसी और सीएचसी में लैब टेकनिशयन | 16679 | 27733 | 66.3 |
पीएचसी और सीएचसी में नर्सिंग स्टाफ | 63938 | 94007 | 47.0 |
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