चने की विविधिता और मिंजनी
चने की विविधता- चने का साग, हरे चने, होला (आग में भुने बूट – हरे चने की फली); और फिर चने – सूखे परिपक्व चने। साग से शुरू यह सफर चने के साथ पूरे साल जारी रहता है। यह समय चने की फसल कटकर आने का होता है। इसलिए चने का साग और हरे चने के विविध व्यंजन के लिए साल भर का इंतज़ार करना होगा। अब जारी रहेंगे चने, दाल और बेसन से बने व्यंजन।
चने का साग सर्दियों में पत्तेदार सब्जी का एक विकल्प रहता है। इसे मिर्च लहसुन मिलाकर पीसे गए नमक के साथ कच्चा भी खाने का चलन है। फिर बारी आती है हरे चने से बनने वाले व्यंजनों की। ताजी हरी मटर के उतरते सीज़न और क्या बनाएँ की दुविधा से दो चार होने के बीच यह अच्छा विकल्प रहता है। यह अल्पाहार (स्नैक) से लेकर मुख्य आहार (मेन कोर्स) के व्यंजनों की एक लम्बी लिस्ट में फिट बैठता है।
स्वाद में भी लाजवाब हरे चने
स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत लाभकारी माने जाने वाले हरे चने स्वाद में भी लाजवाब होते हैं। चाहे इसे कच्चा खाएं, कोई व्यंजन बनायें इसका स्वाद उभर कर सामने आता है। जो बनाया है उसी रूप में पूरी तरह से ढल जाते हैं। यह हर एक की पसंद पर खरा उतरने में पूरी तरह से उपयुक्त है। आहार या व्यंजन में विविधिता, स्वास्थ्य और स्वाद के बेहतर मेल के लिए इसका उपयोग अच्छा विकल्प है।
अन्य देशों में भी क्रेज़
हरे चने का ये क्रेज़ सिर्फ यहाँ ही नहीं अन्य देशों में भी मिलता है। Fresh garbanzo beans, green garbanzo beans or green chickpeas के नाम से। इतना ही नहीं वहाँ हरे चने की फलियों को पैन में या अवन में रोस्ट करके खाते हैं। ये होला से मिलता जुलता ही है। हमारे देश में होला को छांव में सुखाकर अपनी जरूरत के हिसाब से साल भर के लिए रखने का भी चलन था। जिसका मुख्यतः इस्तेमाल बारिश के मौसम में नाश्ते के लिए किया जाता था। खैर चने और चने के उत्पाद हर एक के लिए साल भर सुलभ रहते हैं।
हर प्रांत के कुछ खास व्यंजन
चने, चने की दाल और बेसन से बनने वाली चीजों की फेहरिस्त बहुत लम्बी है। बेसन का धोखा, चीला, लौकी-चना दाल, कढ़ी, चने की सब्जी, गट्टे की सब्जी, सेव की सब्जी, फुलौरी है। चना ज़ोर गरम, भुने चने, चटपटे अंकुरित चने, उबले चने की चाट, घुघरी, बेसन की रोटी भी है। बेसन के कई तरह की मिठाइयां, लड्डू – बर्फी भी प्रचलित हैं। इसके अलावा और भी बहुत से, हर प्रांत के कुछ खास व्यंजन, अलग रेसिपी, सबकी अपनी पसंद भी। इन्ही में से एक हैं मिंजनी। बेसन से बनने वाली मिंजनी में गजब का स्वाद होता है।
मिंजनी
मिंजनी के लिए आवश्यकतानुसार बेसन लेकर उसमें हल्का नमक मिलाकर पानी के छींटे देते हैं। फिर हाथ से बेसन को रगड़ते हैं जिससे उसके छोटे– छोटे दाने बन जाते हैं। बने हुए दानों को हाथ से ही या आटे की छन्नी से बचे आटे को छानकर अलग कर लेते हैं। बचे हुए बेसन में फिर पानी के छींटे देते हुए वही प्रक्रिया दोहराते है। इस तरह सारे बेसन के दाने बना लेते हैं। ये दाने बूँदी से छोटे-बड़े असमान आकार के बनते हैं।
ऐसे बनेगी मिंजनी
कड़ाही में थोड़ा तेल डालकर इन दानों को अच्छे से भूनकर अलग कर लेते हैं। तेल बस उतना ही लेते हैं जिसमें बेसन के ये दाने ठीक से भुन जाएं। अब कड़ाही में फिर थोड़ा तेल डालकर उसमें प्याज, लहसुन का पेस्ट, हल्दी, मिर्च, धनिया, गरम मसाला बारी – बारी से डालकर भूनते हैं। बिलकुल वैसे ही जैसे हम अन्य सब्जियों के लिए भूनते हैं। फिर नमक डालते हैं। क्योंकि बेसन में पहले ही थोड़ा नमक है इसलिए मसाले में उसी हिसाब से नमक पड़ेगा। अब भूनकर अलग रखे बेसन के दानों को इसमें डालकर हल्के हाथ से चलाते हैं। इससे मसाला पूरे दानों में अच्छे से मिला लेते हैं।
लुटपुटी मिंजनी के क्या कहने
अब इसमे रसा/तरी लगाते हैं और एक उबाल आने पर उतार लेते हैं। हरी धनिया से सजाकर गरमागरम इसे रोटी या चावल के साथ सर्व करते हैं। रसे के लिए मिंजनी में पानी इस अंदाजे से डाला जाता है कि बेसन के दाने पानी सोखते हैं और मिंजनी हमें कितनी गाढ़ी रखनी है। मसाले में लुटपुटी मिंजनी ज्यादा पसंद आती है।
भोजन परम्पराएँ बहुत समृद्ध हैं। समय, स्थान और परिस्थिति को परखते हुए स्थापित हुई हैं। स्वाद और सेहत के लिहाज से वृहद भंडार समाये हुए हैं। चने से जुड़ा आपका पसंदीदा व्यंजन कौन सा है? एक संक्षिप्त परिचय के साथ उसकी जानकारी यहाँ शेयर कर सकते हैं।
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