भुने चने के साथ लहसुन – हरी मिर्च की चटनी क्या कहने
बदलता मौसम हो या शाम की चाय का समय चना-चबैना-भूजा हमारी आहार परम्परा का हिस्सा है। सेहत के लिहाज से ये पोषण और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही मुफीद है। हाँ, ये जरूर है कि अलग आयु वर्ग में इसकी पसंद अलग है और खाने के तरीके भी।
भुने चने को गुड़ या चटनी के साथ खाने की परम्परा भी रही है
पारम्परिक तौर पर इसे गुड़ या चटनी के साथ खाया जाता रहा है। चटनी यानि ज्यादा प्रचलित लहसुन-हरी मिर्च की चटनी। यह हरी मिर्च, लहसुन और नमक को एक साथ पीस कर बनाई जाती है। कच्ची ही खाई जाती है। बोलचाल में इसे नमक भी कहा जाता है।
क्षेत्र के आधार पर इसके बनाने में विविधिता है। भूजा और नमक का यह साथ, स्वाद और सेहत के लिहाज से बेजोड़ है। अगर बात हो भुने चने की तो चना-चटनी के साथ के क्या कहने…
चना-चबैना-भूजा कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। ये फाइबर से भी भरपूर है। विटामिन्स और मिनेरल्स के संपूरक के रूप में भी ये बहुत महत्वपूर्ण है।
भुने चने में कम होती है कैलोरी
बात करें भुने चने की तो ये प्रोटीन से भरपूर होता है। भुने चने में कैलोरी बहुत कम होती है। इससे फाइबर की भी बहुत अच्छी मात्रा होती है। खासतौर पर जब हम इसे छिलके के साथ खाते हैं। ये आयरन का भी अच्छा स्रोत है। इसमें फॉलिक एसिड, फोस्फोरस, थायमीन, मेग्नीशियम और नियसिन भी पाया जाता है।
सेहत के लिहाज से भुना चना वजन को नियंत्रित रखने में सहायक है। कम कैलोरी की वजह से ये वजन घटाने वालों के लिए ये एक अच्छा स्नैक है।
फाइबर से भरपूर भुना चना हृदय रोगों से बचाव में सहायक है। यह कोलेस्टेरोल के स्तर को नियंत्रित रखता है। कब्ज को दूर और पाचन को दुरुस्त रखने में भी उपयोगी है। मधुमेह रोगियों के लिए भी लाभकारी है। रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में उपयोगी है।
भुने चने खाएं खून बढ़ाएँ
आयरन और फॉलिक एसिड की उपस्थिति से ये एनीमिया से बचाव में सहायक है। ये खून बढ़ाने में मददगार होकर एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए भी लाभदायक है।
इसमें उपस्थित विटामिन और मिनेरल प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करते हैं। शरीर में ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं। फोस्फोरस शरीर में कोशिकाओं और ऊतकों की वृद्धि, विकास और मरम्मत में सहयोगी है।
भुने चने को लहसुन-हरी मिर्च की चटनी के साथ खाने से स्वास्थ्य लाभ में बढ़ोतरी होती है। लहसुन मिर्च का इस चटनी के रूप में उपयोग इसको कच्चा खाने का एक अच्छा तरीका है। जो लोग तीखा पसंद करते हैं, और इससे उन्हें कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं है, उनके लिए ये स्वाद के साथ सेहत का अच्छा जोड़ है।
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लहसुन और हरी मिर्च के कई स्वास्थ्य लाभ के प्रमाण बहुत सी रिसर्च में मिलते हैं। लहसुन में एलिसिन और मिर्च में कैप्सेसिन नामक बायोएक्टिव तत्व पाया जाता है। इनमें पाये जाने वाले ये फाइटोकेमिकल्स और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स इन्हें औषधीय गुण प्रदान करते हैं।
एंटिबायोटिक के अस्तित्व में आने से पहले उसके रूप में लहसुन का उपयोग तो कई बीमारियों के इलाज में होता रहा है। श्वसन तंत्र की कई बीमारियों जैसे ब्रोंकाइटिस, ब्रोङ्कोएक्टासिस के इलाज में भी इसका उपयोग पहले होता रहा है। हरी मिर्च भी औषधीय गुणों से भरपूर है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक
रोग प्रतिरोधकता बढ़ाते हैं लहसुन और हरी मिर्च। इनसे पाचन क्रिया में मदद मिलती है। बदलते मौसम में ये सर्दी-जुकाम, बुखार, गले में खराश, फ्लू जैसे संक्रमण से बचाव में उपयोगी हैं। लहसुन और हरी मिर्च हृदय रोगों से बचाव, कोलेस्टेरोल के स्तर को नियंत्रित रखने में लाभकारी है।
मधुमेह के रोगियों के लिए भी यह लाभकारी हैं। ये रक्त में शुगर के स्तर को कम करते हैं। इनका सेवन कई प्रकार के कैंसर जैसे प्रोस्टेट, कोलन कैंसर, की आशंकाओं को काफी हद तक कम करता है। ये कई वायरल और बैक्टीरियल इन्फ़ैकशन से बचाव, और लड़ने में शरीर की मदद करते हैं।
चटनी का सेवन सीमित मात्रा में ही किया जाता है। ज्यादा मात्रा में सेवन से पेट में जलन की समस्या हो सकती है। चटनी में नमक की मात्रा सीमित रखें। टेबल साल्ट की जगह अन्य जैसे सेंधा नमक भी डाला जा सकता है।